Solar Eclipse

गुरूवार  26 दिसंबर को खगोल विज्ञान का एक इतिहासिक दिन है। क्योंकि इस दिन जो सूर्य ग्रहण होने जा रहा है ज्योतिषियों के अनुसार यह दुर्लभ है क्योंकि ऐसा संयोग 296 वर्ष के बाद हो रहा है।यूॅ तो सूर्य ग्रहण और चंद्रगहण प्रतिवर्ष होता रहता है। खगोल विज्ञान इसे एक साधरण घटना ही मानती है। मगर ज्योतिषियों की माने तो यह संयोग पिछली बार 7 जनवरी 1723 को हुआ था तो जानते हैं क्या खास होने जा रहा है इस सूर्यग्रहण में।
इस ग्रहण में सूर्य वलयकार होगा । चंद्रमा की छाया का सूर्य का 97 प्रतिषत हिस्सा ढक लेगी। और यह ग्रहण हिन्दु कलैण्डर के अनुसार पौष मास की अमावस्या पर सबह 8 बजकर 17 मिनट से लेकर 10 बजकर 57 मिनट तक होगी।
सूर्य ग्रहण होता कैसे है । जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाती है तो चंद्रमा के समाने आ जाने पर सूर्य की रौषनी बराबर पृथ्वी पर नहीं पहुॅंच पाती तो ऐसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते है।
वैज्ञानिकों के लिए यह एक ओर यह ग्रहण शोध का विषय है क्योंकि इस दिन वैज्ञानिक सूर्य की वायुमंडल में होने वाले उथल पुथल का अध्यन करते है। और सूर्य के बारे में जानकारियों को वे अपडेट करते है। तो ज्योतिषियों के लिए यह विषेष मायने रखता है। इसका सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो रहा है।
इस वर्ष दो जुलाई और 6 जनवरी को भी सूर्य ग्रहण हुआ था मगर भारत में वह दिखाई नहीं दिया था । 26 जनवरी का सूर्य ग्रहण भारत में तो दिखेगा ही साथ ही साथ यह नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, बंग्लादेष,आॅस्ट्रेलिया देषों से भी देखा जा सकता है। दक्षिण भारतके कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई मंगलोर , ऊटी, विरूचिरापल्ली इत्यादि जगहों से यह ग्रहण गुजरेगा।

वैज्ञानिकों की मानें तो दक्षिण भारत में यह सबसे बेहतर तरीके से दिखाई देगा। यहां पर डायमंड रिंग का नजारा बेहद अदभुत होगा। वहीं भारत के अन्य भागों में आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जायेगा।
इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि करीब 3.30 घंटे की रहेगी। जबकि भारत में सूर्य ग्रहण सुबह 8.17 बजे से शुरू हो जायेगा। ग्रहण के शुरू और समाप्त होने का समय अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होगा।
यह सूर्यग्रहण वलयाकार होगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 21 जून को 2020 को देखने को मिल सकता है।
ज्योतिष ज्ञाता इस ग्रहण को अषुभ मान रहें है । महाभारत काल में भी ऐसा ही सूर्य ग्रहण हुआ था
ज्योतिषियों की सलाह
यह है कि इस दौरान कोई शभ कार्य न करें । सूतक काल में भोजन बनाना तथा खाना दोनांे ही वर्जित है। देवी देवताओं की मूर्ति तथा तुलसी का स्पर्ष नहीं करना चाहिए।
क्या करंे
मंत्रों का उच्चारण करें । भगवान का ध्यान ओर भजन करें । तथा ग्रहण समाप्ति के बार घर में गंगा जल का छिड़काव करें । हो सके तो सूतक काल से पहले ही भोजन तैयार कर उसमें तुलसी के पत्ते डालकर रखें । सूतक 25 दिसंबर से 5ः33 मिनट से ही सूतक लग जाऐगा। मंदिरों के कपाट इस दौरान बंद रहेंगे।
वलयकार पथ ये होते हुए यह ग्रहण देष के उत्तर और दक्षिण की ओर बढ़ने से आंषिक सूर्य ग्रहण की अवधि कम होती जाएगी।

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